Big Decision of Supreme Court (सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला) : आज के समय में अधिकतर लोग घर, कार, बिज़नेस या अन्य ज़रूरतों को पूरा करने के लिए बैंक से लोन लेते हैं। लेकिन कई बार आर्थिक तंगी या किसी अन्य कारण से समय पर EMI चुकाना मुश्किल हो जाता है। इस स्थिति में क्या होगा? क्या बैंक जबरन रिकवरी कर सकता है? सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसला दिया है, जिससे EMI नहीं भरने वाले लोगों को राहत मिल सकती है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि यह फैसला क्या है, और इससे आम लोगों को कैसे लाभ होगा।
Big Decision of Supreme Court – क्या कहा कोर्ट ने?
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने बैंक और NBFC (Non-Banking Financial Companies) द्वारा लोन रिकवरी प्रक्रिया को लेकर एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है। कोर्ट ने कहा है कि:
- बिना उचित प्रक्रिया अपनाए लोन रिकवरी नहीं की जा सकती।
- जबरन या हिंसक तरीकों से वसूली करना गैरकानूनी होगा।
- यदि कोई ग्राहक किसी कारणवश EMI नहीं भर पाता, तो उसे उचित समय और समाधान के अवसर दिए जाने चाहिए।
- लोन डिफॉल्टर्स के लिए बैंक को एक मानवीय दृष्टिकोण अपनाना होगा।
इस फैसले से उन लोगों को राहत मिली है जो अस्थायी रूप से वित्तीय संकट में होते हैं और EMI चुकाने में असमर्थ होते हैं।
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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला : क्या होगा अगर आप EMI समय पर नहीं भरते?
अगर आप अपनी लोन की EMI समय पर नहीं भरते हैं, तो निम्नलिखित चीजें हो सकती हैं:
- लेट पेमेंट चार्ज: बैंक हर महीने EMI ना चुकाने पर अतिरिक्त शुल्क लगाता है।
- क्रेडिट स्कोर खराब हो सकता है: अगर लगातार EMI नहीं भरी जाती है, तो आपका CIBIL स्कोर गिर सकता है, जिससे भविष्य में लोन लेना मुश्किल हो जाएगा।
- नोटिस और लीगल एक्शन: यदि कई महीनों तक EMI नहीं चुकाई जाती, तो बैंक लीगल नोटिस भेज सकता है।
- रिकवरी एजेंट की एंट्री: बैंक रिकवरी एजेंट भेज सकता है, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उन्हें जबरदस्ती या धमकी देने की अनुमति नहीं होगी।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से किन लोगों को होगा फायदा?
इस फैसले का सीधा असर उन लोगों पर पड़ेगा जो किसी मजबूरी के कारण EMI नहीं चुका पा रहे हैं। निम्नलिखित वर्गों को इसका सीधा लाभ मिलेगा:
- छोटे व्यवसायी: जिनका व्यापार मंदी के कारण प्रभावित हुआ है और वे समय पर लोन नहीं चुका पा रहे हैं।
- सैलरीड लोग: जिनकी नौकरी चली गई है या सैलरी में कटौती हुई है।
- कोविड या अन्य बीमारी से प्रभावित लोग: जिनकी आर्थिक स्थिति अचानक खराब हो गई।
- किसान और ग्रामीण क्षेत्रों के लोग: जिनकी आमदनी अनिश्चित होती है और वे समय पर भुगतान करने में असमर्थ होते हैं।
EMI चुकाने में परेशानी हो तो क्या करें?
अगर आप समय पर EMI नहीं चुका पा रहे हैं, तो निम्नलिखित उपाय अपनाए जा सकते हैं:
1. बैंक से बातचीत करें
बैंक या NBFC से संपर्क करें और अपनी वित्तीय स्थिति के बारे में बताएं। कई बार बैंक EMI को री-शेड्यूल करने की सुविधा देते हैं।
2. लोन मोराटोरियम का विकल्प देखें
कोविड-19 के समय सरकार ने लोन मोराटोरियम दिया था, ऐसे ही किसी विशेष परिस्थिति में बैंक से EMI स्थगित करने का अनुरोध किया जा सकता है।
3. EMI चुकाने के लिए पार्ट-पेमेंट करें
अगर पूरी EMI देना संभव नहीं है, तो बैंक से अनुरोध करें कि वे आपको आंशिक भुगतान करने की अनुमति दें।
4. ऋण पुनर्गठन (Loan Restructuring) का विकल्प अपनाएं
यदि आर्थिक परेशानी लंबी चल रही है, तो आप बैंक से लोन के पुनर्गठन का अनुरोध कर सकते हैं, जिससे आपकी EMI कम हो सकती है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का असर बैंकों पर
यह फैसला केवल लोन लेने वालों के लिए ही नहीं, बल्कि बैंकों के लिए भी महत्वपूर्ण है।
- बैंकों को जबरन वसूली नहीं करनी होगी: इससे ग्राहकों और बैंकों के बीच बेहतर संबंध बनेंगे।
- रिकवरी प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ेगी: बैंक को अब ग्राहकों को उचित समय और समाधान देने होंगे।
- बैंकिंग सेक्टर को दीर्घकालिक लाभ: अगर ग्राहक को सही समय पर राहत मिलती है, तो वे भविष्य में बेहतर भुगतान कर सकेंगे।
वास्तविक जीवन के उदाहरण
केस स्टडी 1: एक नौकरीपेशा व्यक्ति की कहानी
रवि एक प्राइवेट नौकरी करता था, लेकिन कोविड-19 के दौरान उसकी नौकरी चली गई। उसकी कार लोन की EMI बकाया थी। बैंक के रिकवरी एजेंट उसे बार-बार परेशान कर रहे थे। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद, बैंक को रवि को कुछ और समय देने के लिए मजबूर होना पड़ा, जिससे उसे नई नौकरी ढूंढने का मौका मिला और वह धीरे-धीरे EMI चुकाने लगा।
केस स्टडी 2: एक छोटे व्यापारी की परेशानी
सुमित की एक छोटी कपड़ों की दुकान थी, लेकिन लॉकडाउन में उसका बिज़नेस ठप हो गया। बैंक ने उसके ऊपर दबाव बनाया कि वह लोन जल्द से जल्द चुकाए। लेकिन अब कोर्ट के फैसले के बाद, बैंक को उसे अधिक समय देना पड़ा, जिससे सुमित अपने बिज़नेस को दोबारा खड़ा कर सका।
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला उन लोगों के लिए एक बड़ी राहत है जो अस्थायी वित्तीय संकट के कारण EMI नहीं चुका पा रहे हैं। इससे बैंक भी अपनी रिकवरी प्रक्रिया को ज्यादा मानवीय बनाएंगे और ग्राहकों को थोड़ी राहत मिलेगी। हालांकि, यह ध्यान रखना जरूरी है कि यह फैसला उन लोगों के लिए नहीं है जो जानबूझकर EMI नहीं भर रहे। इसलिए, अगर आप वास्तव में किसी संकट से जूझ रहे हैं, तो बैंक से बातचीत करें और समाधान निकालें।